प्रायः वैदिक शांति पाठ (Vaidik Shanti Path) किसी भी प्रकार के पूजन, अनुष्ठान या यज्ञ के बाद किया जाता है, जिससे पूजन सम्पूर्ण माना जाता है और भगवान् से प्रार्थना की जाती है।
1. वैदिक शांति पाठ मंत्र (Vaidik Shanti Path)
ॐ सहनाववतु ।। सहनौभुनक्तु ।।
सह वीर्यं करवावहै ।।
तेजस्विनावधीतमस्तु ।।
मा विद्धिषावहै ।।
ॐ भद्रं कर्णेभिः श्रृणुयाम देवाः ।।
भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवां सस्तनूभिः ।।
व्यशेमद्धिवेहितं यदायुः ।।
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः ।।
स्वस्ति न पूषा विश्ववेदाः ।।
स्वस्तिनस्तार्थ्यो अरिष्टनेमिः ।।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ।। 2 ।।
ॐ शांतिः ! शांतिः !! शांतिः !!!
शांति पाठ अर्थ : हे परमात्मन् ! आप हम गुरु-शिष्य दोनों साथ ही साथ बल को प्राप्त करें। हम दोनों की अध्ययन की हुई विद्या तेजपूर्ण हो। कहीं किसी से पराजय न हो, विद्या में और हम दोनों जीवनभर परस्पर स्नेह सूत्र में बंधे रहें। हमारे अन्दर परस्पर कभी द्वेष न हो। हे परमात्मन् ! तीनों पापों की निवृत्ति हो ।। शुभम् ।
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2. वैदिक शांति पाठ मंत्र (Vaidik Shanti Path Lyrics)
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,
पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: ।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
शान्ति: कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में, जल में, थल में और गगन में, अन्तरिक्ष में, अग्नि पवन में, औषधि, वनस्पति, वन, उपवन में, सकल विश्व में अवचेतन में! शान्ति राष्ट्र-निर्माण सृजन, नगर, ग्राम और भवन में जीवमात्र के तन, मन और जगत के हो कण कण में, ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
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