यमुना जी की आरती (Yamuna Mata Ki Aarti)
ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता ।
जो नहावे फल पावे सब सुख की दाता ।।१।।
पावन श्री यमुना जल शीतल अगम बहै धारा ।
जो जन शरण से कर दिया निस्तारा ।।२ ।।
जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे ।
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान धरे ।।३।।
कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही ।
तुम्हारा बड़ा महात्म चारों वेद कही ।।४।।
आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो ।
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो ।।५।।
नमो मात बय हरणी शुभ मंगल करणी ।
मन ‘बेचैन’ रहत है तुम बिन वैतरणी ।।६।।
यमुना जी कौन है ?
माता यमुना जी, मृत्यु के देवता यम की बहन हैं
माता यमुना देवी का वहां कौन है?
यमुना जी का वाहन कच्छप यानि (कछुआ) है
यमुना जी के पिता कौन है?
यमुना जी, सूर्य और शरण्यु की पुत्री हैं
यमुना जी का दूसरा नाम क्या है?
माता यमुना जी को कालिंदी भी कहा गया है
यमुना जी क्यों प्रसिद्द है?
आदिवाराह पुराण के अनुसार, यमुना जी में स्नान करने से जन्मान्तर के पाप भस्म हो जाते हैं
यमुना जी का उद्गम स्थान कहाँ है?
उत्तराखंड में हिमालय पर्वत में हरिद्वार के उत्तर में स्थित यमुनोत्री, यमुना का उद्गम स्थल है।
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