यमुनोत्री मंदिर, यमुनोत्री धाम है, (Yamunotri Dham) यह एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो देवी यमुना को समर्पित है। यमुनोत्री को भारत की प्रवित्र नदियों में से एक यमुना नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। गढ़वाल हिमालय के पश्चिम में समुद्र तल से 3235 मीटर की ऊंचाई पर यमुनोत्री मंदिर स्थित है। इस मंदिर को माता यमुनोत्री का मंदिर के नाम से जाना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, माता यमुना सूर्य देव की पुत्री हैं और धर्मराज यमराज की छोटी बहन। इस मंदिर में मृत्यु के देवता यम अपनी छोटी बहन यमुना से साथ विराजमान हैं। यमनोत्री धाम उत्तराखण्ड के चार धामों में से एक है।
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यमुनोत्री मंदिर की स्थापना
1919 में इस मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के राजा प्रताप शाह ने करवाया था। परन्तु 19वी में भयंकर भूकंप के कारण यह मंदिर पूरा तहस नहस हो गया फिर तभी जयपुर की महारानी गुलेरिआ ने इसका पुन: निर्माण कराया। यह स्थान उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के कालिंद पर्वत पर स्थित है। मंदिर के गर्भगृह में यमुना देवी की काले संगमरमर की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठित है। यमुनोत्री धाम का मुख्य आकर्षण देवी यमुना के लिए समर्पित मंदिर एवं जानकीचट्टी है।
यमुनोत्री पहुंचना बहुत ही आसान है, उत्तराखंड के अधिकांश महत्वपूर्ण शहरों से यमुनोत्री अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
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यमुनोत्री मंदिर कपाट खोलने का समय:
यमनोत्री मंदिर के कपाट हर साल अक्षय तृतीया के दिन खुलते हैं और दिवाली के दूसरे दिन बंद कर दिया जाता है। उत्तराखण्ड मे चार धाम मंदिरो के कपाटो मे सबसे पहले यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के ही कपाट खोले जाते है।
इतिहास के अनुसार | Yamunotri Dham in Hindi
इतिहासकारों के अनुसार, इस स्थान पर पहले महर्षि असित का आश्रम हुआ करता था। महर्षि प्रतिदिन इसी नदी मे स्नान किया करते थे। माना जाता है कि जब महर्षि वृद्ध हो गये और नदी तक आना जाना उनके लिए मुश्किल हो गया तो गंगा माता ने अपने जल की एक धारा उनके आश्रम की तरफ छोड दी थी जिसमे महर्षि स्नान करते थे। वो जल की धारा आज भी वहाँ पर स्थित है। यमुनोत्री मन्दिर के पास ही एक पवित्र शिला रखी हुई है जिसे दिव्य शिला कहकर पुकारा जाता है। श्रृद्धालुओ मन्दिर जाने से पूर्व इस शिला की पूजा करते है उसके बाद ही मन्दिर के दर्शन करते है।
यमुनोत्री मंदिर से ही यमुना नदी का उत्पत्ति हुआ है। बताया जाता है कि इसके पास ही दो पवित्र कुंड भी है, जिसे सूर्य कुंड और गौरी कुंड के नाम से जाना जाता है। सूर्य कुंड का जल उच्चतम तापमान के लिए प्रसिद्ध है। यहां आने वाले श्रद्धालु कपड़े की पोटली में चावल सूर्य कुंड के जल में पकाते हैं और प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। कहा जाता है कि जो लोग यमुना में स्नान करते हैं, उन्हें यम मृत्यु के समय पीड़ित नहीं करते हैं। यमुनोत्री के पास भी कुछ गर्म पानी के स्रोते हैं।
यमुनोत्री धाम कैसे पहुचें | Yamunotri Dham Yatra
यमुनोत्री धाम दर्शन के लिए यदि आप सड़क मार्ग से जाना चाहे तो आपको बारकोट यमुनोत्री रोड से Yamunotri Dham Yamunotri Uttarakhand में स्थित है, यहाँ जाने के लिए सको सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून स्टेशन है। यमुनोत्री के नज्दिनी हवाई अड्डा है जॉली ग्रांट एअरपोर्ट देहरादून आपक हवाई यात्रा करने भी यहाँ आ सकते है यमुनोत्री धाम को पूरी देख रेख उत्तराखण्ड चार धाम देवस्थानम् प्रबन्धन बोर्ड के द्वारा की जाती है जिससे आपको कोई भी असुविधा न हो, अधिक जानकारी के लिए आप यहाँ की ऑफिसियल वेबसाइट में भी संपर्क कर सकते है।
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