काली माँ महाकाली भद्रकाली मंत्र | Maa Mahakali Bhadrakali Mantra

कहते है माँ शक्ति का सातवाँ रूप माँ महाकाली भद्रकाली है, और निहित है शुक्रवार के दिन मा काली के आई शक्ति दुर्गा रूप की पूजा विधि विधान से की जाती है,  मां कालरात्रि को भद्रकाली, भैरवी, महाकाली, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी, रौद्री और धुमोरना भी कहा जाता है। मां का स्वरूपअत्यंत उग्र माना जाता है साथ ही यहाँ भी कहा जाता है। मां अपने भक्तों पर हमेशा कृपा दृष्टि बरसाती है माता की कृपा से जातकों के सभी कष्ट और संकट टल जाते है

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अगर कोई भक्ति पूरी भक्ति के साथ भाव के साथ माता की पूजा और उपासना करता है और अपने जीवन में शांति और समृद्धि बनाए रखना चाहता है तो माता के इस चमत्कारी मन्त्रों का जप जरुर करे इस मन्त्रों में इतनी शक्ति है। जिससे मनुष्य के सभी प्रकार के दोष, कष्ट, काल और दुःख माता हर लेती है और उसके उपर माता की कृपा बरसती है लेकिन विशेष ध्यान दें इन मन्त्रों के जप के समय स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें अन्यथा परिणाम विपरीत भी आ सकते है। तो आइये स्मरण करें काली माँ महाकाली भद्रकाली मंत्र –

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मां काली के मंत्र – Maa Mahakali Bhadrakali Mantra

मां  भद्रकाली मंत्र

ह्रौं काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा॥

मां काली मंत्र

ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं॥

मां काली बीज मंत्र

ॐ क्रीं काली

मां तीन अक्षरी काली मंत्र

‘ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं’

मां पांच अक्षरी काली मंत्र

ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं हूँ फट्

मां  सप्ताक्षरी काली मंत्र

ॐ हूँ ह्रीं हूँ फट् स्वाहा

मां काली का मंत्र

ॐ श्री कालिकायै नमः

काली मां का मंत्र

”ॐ हरिं श्रीं कलिं अद्य कालिका परम् एष्वरी स्वा:”

मां  दक्षिणकाली मंत्र

ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं॥
क्रीं ह्रुं ह्रीं दक्षिणेकालिके क्रीं ह्रुं ह्रीं स्वाहा॥
ॐ ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके स्वाहा॥

मां की पूजा हेतु काली मंत्र

”कृन्ग कृन्ग कृन्ग हिन्ग कृन्ग दक्षिणे कलिके कृन्ग कृन्ग कृन्ग हरिनग हरिनग हुन्ग हुन्ग स्वा:”

मां काली गायत्री मंत्र

“ॐ महा काल्यै छ विद्यामहे स्स्मसन वासिन्यै छ धीमहि तन्नो काली प्रचोदयात”

मां महाकाली बीज मंत्र

ॐ क्रीं कालिकायै नमः

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